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Shree Krishana Charit (Purvardh)

Shri Krishana Charit (Purvardh) as published by Moti Lal Banarsi Dass.

Hearty Thanks to Shri Anup Gogai Ji of Faridabad for scanning this granth.

Only Purvardh of this Charit was printed. Chakra ji has wrote uttarardh. Uttarardh was never printed. Manuscript of Uttarardh was left with the publisher which is currently unavailable.

Our thanks to Shri Prabhat Dixit Ji Delhi for providing contact details of Publisher. It is with his support only that we are able to get the hard copy of this granth.

Index was inserted in starting of each part so that reader can easily locate chapter names.

10 thoughts on “Shree Krishana Charit (Purvardh)

  1.   जी, आपको धन्यवाद करने के लिए, मेरे पास शब्द नहीं है, क्योँकि आपने जो “श्री सुदर्शन सिंह चक्र जी” लिखित इन “चरितों और इन ग्रन्थ” रूपी बेषकिमिति अनमोल रत्न को, हम सभी पठन-पाठन करने वालों तक उपलबध करवाया है, और वो भी बड़े सहज तरीके से इस एक वेबसाइट के द्वारा, इसके लिए धन्यवाद कहना आपको, मुझ अल्पज्ञ को उचित प्रतीत नहीं होता, धन्यवाद बोहोत छोटा होगया और यदि इस “छोटे” शब्द को और थोडासा स्पस्ट कहूं तो, “धन्यवाद कहना आपको, आपकी अनन्य भक्ति श्रद्धा के सामने “नगण्य” जान परता है मुझे। क्योंकि मेरा विश्वास है की निश्चित ही, “श्री चक्र जी का आशीर्वाद” और हम सबके “कन्हाई की कृपा दृष्टि” आपके ऊपर नित्य बनी हुई है, नहीं तो, वो भी आज के इस समय में, क्या ये महानतम कार्य होना संभव था ? बस, उन्ही की कृपा प्रेरणा से, धन्यवाद की जगह इतना ही कह सकता हूँ, की आपके ऊपर उनका आशीर्वाद और उनकी कृपा दृष्टि बनी रहे. और साथ ही अंत में, एक प्रार्थना भी है, की कृपा करके, आपका एवं सभी भक्तों का आशीर्वाद, मुझ तुच्छ जीव को दीजियेगा, ताकि अखंड अनन्य निष्काम भक्ति और कृष्णप्रेम की प्राप्ति हो🙏🙏🙏

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  2.   जी, आपको धन्यवाद करने के लिए, मेरे पास शब्द नहीं है, क्योँकि आपने जो “श्री सुदर्शन सिंह चक्र जी” लिखित इन “चरितों और इन ग्रन्थ” रूपी बेषकिमिति अनमोल रत्न को, हम सभी पठन-पाठन करने वालों तक उपलबध करवाया है, और वो भी बड़े सहज तरीके से इस एक वेबसाइट के द्वारा, इसके लिए धन्यवाद कहना आपको, मुझ अल्पज्ञ को उचित प्रतीत नहीं होता, धन्यवाद बोहोत छोटा होगया और यदि इस “छोटे” शब्द को और थोडासा स्पस्ट कहूं तो, “धन्यवाद कहना आपको, आपकी अनन्य भक्ति श्रद्धा के सामने “नगण्य” जान परता है मुझे।

    क्योंकि मेरा विश्वास है की निश्चित ही, “श्री चक्र जी का आशीर्वाद” और हम सबके “कन्हाई की कृपा दृष्टि” आपके ऊपर नित्य बनी हुई है, नहीं तो, वो भी आज के इस समय में, क्या ये महानतम कार्य होना संभव था ?

    बस, उन्ही की कृपा प्रेरणा से, धन्यवाद की जगह इतना ही कह सकता हूँ, की आपके ऊपर उनका आशीर्वाद और उनकी कृपा दृष्टि बनी रहे.

    और साथ ही अंत में, एक प्रार्थना भी है, की कृपा करके, आपका एवं सभी भक्तों का आशीर्वाद, मुझ तुच्छ जीव को दीजियेगा, ताकि अखंड अनन्य निष्काम भक्ति और कृष्णप्रेम की प्राप्ति हो🙏

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  3. जी, आपको धन्यवाद करने के लिए, मेरे पास शब्द नहीं है, क्योँकि आपने जो “श्री सुदर्शन सिंह चक्र जी” लिखित इन “चरितों और इन ग्रन्थ” रूपी बेषकिमिति अनमोल रत्न को, हम सभी पठन-पाठन करने वालों तक उपलबध करवाया है, और वो भी बड़े सहज तरीके से इस एक वेबसाइट के द्वारा, इसके लिए धन्यवाद कहना आपको, मुझ अल्पज्ञ को उचित प्रतीत नहीं होता, धन्यवाद बोहोत छोटा होगया और यदि इस “छोटे” शब्द को और थोडासा स्पस्ट कहूं तो, “धन्यवाद कहना आपको, आपकी अनन्य भक्ति श्रद्धा के सामने “नगण्य” जान परता है मुझे।

    क्योंकि मेरा विश्वास है की निश्चित ही, “श्री चक्र जी का आशीर्वाद” और हम सबके “कन्हाई की कृपा दृष्टि” आपके ऊपर नित्य बनी हुई है, नहीं तो, वो भी आज के इस समय में, क्या ये महानतम कार्य होना संभव था ?

    बस, उन्ही की कृपा प्रेरणा से, धन्यवाद की जगह इतना ही कह सकता हूँ, की आपके ऊपर उनका आशीर्वाद और उनकी कृपा दृष्टि बनी रहे.  

    और साथ ही अंत में, एक प्रार्थना भी है, की कृपा करके, आपका एवं सभी भक्तों का आशीर्वाद, मुझ तुच्छ जीव को दीजियेगा, ताकि अखंड अनन्य निष्काम भक्ति और कृष्णप्रेम की प्राप्ति हो🙏🙏🙏

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  4. आपके द्वारा पूज्य चक्र जी बाबा की पुस्तकों के संरक्षण, प्रचार और प्रसार का जो यह श्लाघनीय कार्य किया गया है उसके लिए हम सभी चक्र जी बाबा के भक्त जन आपके अत्यंत आभारी हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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  5. अनेकानेक साधुवाद

    On Sun, 26 Sep, 2021, 22:37 Chakra Sahitya चक्र साहित्य, wrote:

    > Swapnil Bansal posted: ” Shri Krishana Charit (Purvardh) published by Moti > Lal Banarsi Dass. Shri Krishna charit page 1-108Download Shri Krishna > charit page 109-202Download Shri Krishna charit page 203-301Download Shri > Krishna charit page 302-441Download ” >

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